Monday 6 February 2017

क्या अश्वत्थामा आज भी जीवित हे ?


मध्यप्रदेश का एक छोटा शहर है बुरहानपुर। यह खंडवा से लगभग 80 किलोमीटर पर स्थित है. यहाँ पहाड़ी की उचाईयों पर है - असीरगढ़ का किला.

इस किले को तो अस अहीर नाम के हिन्दू शासक ने बनवाया था लेकिन बाद में धोखे से नासिर खान ने इसको हड़प लिया।

इस किले के चारों तरफ जंगल और इस किले के आस पर कोई रिहाइशी मकान या बस्ती नहीं है. वैसे तो यहाँ कोई आता-जाता नहीं लेकिन कभी कोई आया तो उसको कुछ ऐसे अनुभव हुए जिससे या तो वह पागल हो गया या फिर उसको लकवा मार गया. स्थानीय लोगों में यहाँ अश्वस्थामा के होने की भ्रांति है. कभी कोई हल्दी मांगने आया तो कभी किसी ने मक्खन. लेकिन उस व्यक्ति का हुलिया वही रहता है और उसके माथे से खून निकलता रहता है.

महाभारत की कथा यदि आपको थोड़ी कम याद हो तो आइये अश्वस्थामा के बारे में थोड़ा जान लें. अश्वस्थामा द्रोणाचार्य के पुत्र थे. वही द्रोणाचार्य जो कौरव और पांडवों के गुरु थे. महाभारत का युद्ध जब चला तो द्रोणाचार्य को कौरव के तरफ से युद्ध करना पड़ा. जब अश्वस्थामा को द्रोणाचार्य की मृत्यु की खबर मिली तो उनसे ब्रह्मास्त्र चला कर पड़ावों के सभी पुत्रों को मार गिराया. सिर्फ अभिमन्यु का पुत्र परीक्षित बचा था जो उत्तरा के गर्भ में पल रहा था. जब अश्वस्थामा उसे भी मारने के लिए ब्रह्मास्त्र निकाला तब श्री कृष्ण ने उसके मस्तक से मणि निकाल ली और उसको शाप दिया कि वह इसी मृत्युलोक में रहेगा और भटकता रहेगा. यह वही सिर का घाव है जो 5000 साल में भी नहीं भरा और आज भी जिसमें से खून निकलता रहता है.

असीरगढ़ के किले के पास एक शिवमंदिर है. इस शिवमंदिर के पास एक द्वार है जो खंडवा के वन की तरफ खुलता है. खंडवा आपको याद नहीं हो तो इसे मैं खाण्डव वन बोल देता हूँ. अब याद आया यह वही खाण्डव वन है जिसको अर्जुन को अग्निदेव ने वरदान स्वरुप यह वन, गांडीव धनुष और अक्षय तरकश दी थी. इस वन का महाभारत काल से बहुत महत्व है और इसलिए आज तक इसी वन से आकर इस शिवमंदिर में कोई फूल और गुलाल चढ़ा जाता है. इस मंदिर में कोई पूजा हो, ये फूल कौन चढ़ा जाता है इस मंदिर के पास एक नदी है - उतावली नदी. कहते हैं की अश्वस्थामा इसी नदी से नहाकर फूल चढाने आते है.

खैर जो भी है अश्वस्थामा अमर हैं या नहीं यह तो कह पाना मुश्किल है लेकिन कोई माने या न माने, कुछ तो अदृश्य शक्ति जरूर है यहाँ और कई अन्वेषकों ने यहाँ उसे महसूस भी किया है. आस-पास के लोगों की अनुभूतियाँ भी हैं और कुछ मान्यताएं भी हैं. लेकिन यह एक अनसुलझा रहस्य है.

हमारे पुराणों में ऐसे और भी कई व्यक्ति हे जो कई सालों से प्रुथ्वी पर जिंदा हे । जो हमारे बिच ही शायद किसी तरह से रहते हो । लेकिन उनके बारे में कुछ बता पा ना मुश्किल हे L इसके बारे में फ़िर कभी चर्चा करेंगे ।

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